सेवा धर्म समिति के क्या उद्देश्य हैं
सेवा ही धर्म है धर्म ही सेवा है।
जनकल्याण में निरंतर सेवा करते रहना !!
हमारा मुख्य उद्देश्य है कि पूरे विश्व में गंगाजल पहुंचाने की सेवा का निरंतर प्रयास करते रहना है, क्योंकि किसी भी विशेष कार्य या विशेष उद्यापन, पूजा या विशेष पूजा के लिए लोगों को गंगाजल की जरूरत पड़ती है ।
हमारी समिति चाहती है कि लोगों के पास गंगाजल आसानी से पहुंच सके। इसलिए हमारी समिति ने गंगाजल सेवा चालू की है ।
समाज कल्याण के लिए, बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए , लड़कियों व महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए व किसी भी असहाय या बीमार व्यक्ति की सहायता के लिए कार्य करना
पर्यावरण और जलवायु के संरक्षण के लिए प्रत्यनशील रहना भी हमारी समिति का एक उद्देश्य है
हमारी समिति इन विषयों पर निरन्तर कार्य करती रहेगी।
-: फर्रुखाबाद नगर का ऐतिहासिक महत्व :-
गंगा किनारे बसा फर्रुखाबाद या अपरा काशी( छोटीकाशी )पांचाल नगरी यहां बने ऐतिहासिक और छोटे-बड़े शिवालयों के लिए जाना जाता है यह मान्यता है कि यहां काशी के बाद सर्वाधिक शिवालय हैं,
पूरे देश का जो प्राचीन मार्ग है कैलाश मानसरोवर जाने का वह फर्रुखाबाद से होकर जाता था उज्जैन से लिपुलेख और लिपुलेख से कैलाश यह मार्ग जाता था इस मार्ग को नेशनल हाईवे नंबर 92 नाम दिया गया है,
शिवालय श्री पांडेश्वर नाथ पंडा बाग मंदिर में शिवलिंग की स्थापना पांडवों के द्वारा अज्ञातवास के दौरान की गई थी और इस स्थापना के दौरान भगवान श्री कृष्ण स्वयं मौजूद थे,
यहां मां मंगला गौरी देवी जी का गुड़गांव देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध मंदिर है यह मंदिर ऐतिहासिक है जिसका संबंध महाभारत काल से है,
यहां काली माता के मंदिर में महाबली भीम और दुर्योधन की गदाएं गड़ी हुई हैं,
यहां पर बाबा नीमकरोरी धाम है जहां बाबा नीम करोरी महाराज का आश्रम और गुफा है जो कि मोहम्मदाबाद के संकिसा रोड पर स्थित है,
चार वेदों में से एक वेद की रचना फर्रुखाबाद क्षेत्र के कंपिल में हुई है,
फर्रुखाबाद में महात्मा बुद्ध की धर्म स्थली है जो कि संकिसा के नाम से जानी जाती है, यहां पर महात्मा बुद्ध की मौसी रहती थी और यहीं पर महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था,
फर्रुखाबाद में महाभारत कालीन कंपिल धाम है जोकि द्रौपदी की जन्मस्थली के नाम से जाना जाता है यहां पर कंपिल धाम में द्रौपदी कुंड है,
रामायण काल में भगवान श्री राम के भाई शत्रुघ्न जी ने रामेश्वर नाथ त्रयंबक शिवलिंग मंदिर की स्थापना की जो कि कंपिल में स्थित है,
सतयुग का कपिल मुनि आश्रम व जैन धर्म के 13वे तीर्थंकर श्री विमलनाथ की जन्मस्थली भी कंपिल है,
शिव पुराण में जो पंचमुखी भगवान का स्वरूप हम देखते हैं वह शिव जी का चरितार्थ चित्र सिर्फ आपको यहां कंपिल में ही मिलेगा |